जीवन फिर चल पड़ा नए साथी के साथ आज बस रत्ना की जगह स्नेहा थी। जीवन फिर चल पड़ा नए साथी के साथ आज बस रत्ना की जगह स्नेहा थी।
अभी मेरे घर को मेरी उतनी ही जरूरत है जितनी पहले थी।" अभी मेरे घर को मेरी उतनी ही जरूरत है जितनी पहले थी।"
अशोक और आशीष अपने घर के लिए निकल गए। दोनों बहुत दुःखी थे। अशोक और आशीष अपने घर के लिए निकल गए। दोनों बहुत दुःखी थे।
तब काश जी और निशा देवी ईश्वर को नमन करके शान्ति से सोने लगे। तब काश जी और निशा देवी ईश्वर को नमन करके शान्ति से सोने लगे।
तब सुनीता मन ही मन सोच रही थी इस रिश्तों की कहानी के बारे में। थोड़ी सी मुस्कान आंसुओं क तब सुनीता मन ही मन सोच रही थी इस रिश्तों की कहानी के बारे में। थोड़ी सी मुस्कान आ...
सुजाता प्रसाद आज ४५ साल की उम्र में बिलकुल अकेली पड़ गयी. सुजाता प्रसाद आज ४५ साल की उम्र में बिलकुल अकेली पड़ गयी.